देश के लिए जान देने वाले क्रांतिकारियों, हम शर्मिंदा हैं।
देश के टुकड़े करने वालों के परिजन, अभी देश में ज़िंदा हैं,
लूटा जिन्होंने देश को 70 साल, उन्हें वोट दे रही अभी भी बहुत जनता है,
26/11 के शहीदों, हम शर्मिंदा हैं।
जिस देश की स्वतंत्रता के लिए जान दी आपने, उस देश में नेहरू-गाँधी परिवार की गुलामी अभी कायम है,
अंग्रेज तो चले गए पर इटली से आयी एक मेम के गुलाम अभी जिन्दा हैं|
जो ना साहस कर पाए, पाकिस्तान से प्रतिरोध का,
इतनी जाने गयी फिर भी ना कदम उठा, उनसे कभी प्रतिशोध का।
गयी सरकार उनकी, लोगों ने निकाला बदला,
सिमट गयी उनकी पार्टी 44 पर, आंतकवाद को दिया जिन्होंने बढ़ावा।
पर राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री होने के बाद भी, ना एकजुट हो पाए हम राष्ट्र के लिए,
उठे फिर भी राष्ट्र विरोधी स्वर JNU और जगह जगह, और खड़े हुए माँ – बेटे उनके पक्ष में।
हम देशवासी ना एकजुट हुए फिर भी उनके विरोध में, तो हम शर्मिंदा हैं।
कभी हिन्दु बनके महा मूर्ख ने, हिन्दुओ को मूर्ख बनाया,
कभी SC/ST एक्ट से, हिन्दुओं को विभाजित करवाया।
कभी वाड्रा जैसे अमीर किसानों के साथ मिलकर, लगायी सड़कों पर आग,
कभी लेखकों के साथ मिलकर, छेड़ा अवार्ड वापसी का राग।
धूल में मिला दी जिन्होंने, हिंदुस्तान की आन,
उन माँ बेटे के जोड़े को है, अभी भी लोगों से मत की आस।
इस बात से शर्मिंदा, खड़े हम शीश झुकाये आज|
इनके छलावे में आते रहे, कब से हम और आप,
चुनाव से पहले ये देते कुछ भीख की सौगात।
न कभी इन्होंने हमें, अपने पैरों पर खड़े होने देना
सब्सिडी की बैसाखी और कर्ज माफ़ी, ही बस इनका तौफा है,
देश के आगे बढ़ने की, इनसे ना कोई आस है,
देश की जनता ना जाने कुछ प्रतिशत, फिर भी क्यों इनके साथ है?
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद और शहीद रहे बहुत, पर इनसे क्या हमने कुछ सीखा है?
इतने दिन सपने देखे प्रगति के, पर आज उन सपनों के सच होने का भरोसा है?
बलिदान के बिना क्या कभी कुछ संभव हुआ है, सब्र का फल हमेशा पर मीठा हुआ है|
सैनिको की इतने दिन से अधूरी OROP की अरदास भी, जब मोदी जी ने की है पूरी,
थोड़ा सब्र करो इंसान है वो भगवन नहीं, समझनी पड़ेगी ये मज़बूरी।
देश के लिए काम करने का, उन्होंने बीड़ा उठाया है,
स्वतंत्रता के बाद फिर, आंदोलन का समय आया है।
नेता बनकर घूम रहे ये लोभी, रंग बदल बदल फसा रहे जनता को जाल में,
इनके झांसे में आना, हमारे वीरों के बलिदान पर एक दाग है।
इन्हे दर दर की ठोकरे लगवाना ही, इनके पापों का अंजाम है।
ना करना अब कुछ ऐसा, थोड़े लोभ के ख्याल में,
की जब हो कभी सामना, अंत में इन वीरों से।
तो सर झुकाकर ना कहना पड़े, की हम शर्मिंदा हैं।।
जय हिन्द।
भारत माता की जय ।।